भारत सरकार ने किसानों के लिए एक अहम घोषणा की है। कृषि कार्यों के लिए आवश्यक डीएपी (DAP) और यूरिया खाद के नए दाम तय कर दिए गए हैं। इन नई दरों को लागू करने का मकसद किसानों की लागत को कम करना और उनकी आमदनी में सुधार लाना है। बढ़ती वैश्विक कीमतों के बावजूद सरकार ने यह दरें इस तरह निर्धारित की हैं कि किसानों पर ज्यादा बोझ न पड़े और उन्हें खाद समय पर व उचित दाम पर मिल सके।
डीएपी और यूरिया के नए रेट 2025
केंद्र सरकार द्वारा जारी नई सूची के अनुसार, वर्ष 2025 में डीएपी और यूरिया खाद के दाम इस प्रकार तय किए गए हैं:
- डीएपी खाद की कीमत: ₹1350 प्रति 50 किलो बैग
- यूरिया खाद की कीमत: ₹266.50 प्रति 45 किलो बैग
- किसान पर सब्सिडी: ₹900 प्रति बैग (सरकारी सब्सिडी)
- यूरिया पर सब्सिडी: लगभग ₹1240 प्रति बैग
- कुल बजट सब्सिडी राशि: ₹2 लाख करोड़ रुपये से अधिक
खाद वितरण और उपलब्धता राज्यों के माध्यम से की जाएगी, और किसान इन्हें CSC केंद्रों या नजदीकी सहकारी समितियों से प्राप्त कर सकेंगे। सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि देश के हर हिस्से में खाद की पर्याप्त आपूर्ति बनी रहे और किसानों को किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े।
सब्सिडी योजना के लाभ
सरकार द्वारा चलाई जा रही यह खाद सब्सिडी योजना किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है। इससे किसानों को न सिर्फ राहत मिली है बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है।
मुख्य लाभ इस प्रकार हैं:
- किसानों को खाद का उचित मूल्य पर लाभ मिल रहा है।
- खेती की लागत में सीधी कमी आई है।
- देश में खाद की उपलब्धता और वितरण व्यवस्था बेहतर हुई है।
- सरकारी पोर्टलों के माध्यम से खाद की जानकारी किसानों तक आसानी से पहुंच रही है।
- लगभग 20 करोड़ से अधिक किसान इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं।
डीएपी और यूरिया के दामों में बदलाव क्यों हुआ
बीते कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उर्वरकों की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के कारण उत्पादन लागत में इजाफा हुआ है। इस वजह से भारत में भी इन उर्वरकों की दरों पर असर पड़ा है। हालांकि, केंद्र सरकार ने किसानों पर भार कम रखने के लिए बड़ी मात्रा में सब्सिडी प्रदान की है ताकि खाद की उपलब्धता सस्ती बनी रहे।
कृषि मंत्रालय के अनुसार, इस कदम से न सिर्फ किसानों को लाभ होगा बल्कि देश में खाद आत्मनिर्भरता को भी मजबूती मिलेगी। इससे भारत में फसलों की पैदावार और कृषि उत्पादन दोनों में वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है।
